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मंगलवार, 19 नवंबर 2019

ताले खुल जाते हैं

पुरुषार्थ की कोई भी सीमा नहीं है
बिना पुरुषार्थ कुछ मिलता नहीं है
चींटी रोज़ कितना पुरुषार्थ करती है
पक्षी पुरुषार्थ से घोंसला बनाते हैं
किसान पुरुषार्थ से अन्न उपजाते हैं
जो मानव पुरुषार्थ से जी चुराते हैं
वो जीवन में आगे बढ़ न पाते हैं
वो अपना जीवन व्यर्थ गंवाते हैं
जीवन के बीते पल लौट न पाते हैं
लक्ष्य प्राप्त न होने पर पछताते हैं
बिना पुरुषार्थ सफल हो न पाते हैं
पुरुषार्थ कुंजी से ताले खुल जाते हैं
@मीना गुलियानी 

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