यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 17 नवंबर 2019

कहने दो मुझको

दुनिया के सितम बहुत सह चुके
 कब तक सहेंगे कहने दो मुझको
दिल में दबाके रखेंगे जो शोले
ये आग सुलगेगी जो हम न बोले
इसलिए अच्छा है कहने दो मुझको
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें