लम्हा लम्हा करके ये साल भी यूँ ही गुज़र गया
इतनी शिद्दत से तुम्हें चाहा वो वक्त किधर गया
तभी हम जान पाए उसकी कीमत को भी
वो पल जो आँख के कतरे सा छलक गया
जीना था खुशगवार जब संग वो पल गुज़ारे
वो लम्हा तो मेरी यादों में कैद होके रह गया
कितना अच्छा होता जो संग रहती हमारी आशाएँ
इच्छाओं का वो समन्दर कतरा बनके बह गया
@मीना गुलियानी
इतनी शिद्दत से तुम्हें चाहा वो वक्त किधर गया
तभी हम जान पाए उसकी कीमत को भी
वो पल जो आँख के कतरे सा छलक गया
जीना था खुशगवार जब संग वो पल गुज़ारे
वो लम्हा तो मेरी यादों में कैद होके रह गया
कितना अच्छा होता जो संग रहती हमारी आशाएँ
इच्छाओं का वो समन्दर कतरा बनके बह गया
@मीना गुलियानी