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सोमवार, 30 जनवरी 2017

होसलों की उड़ान को तू देख

एक  दरिया है मीलों तक फैला  हुआ
अपने बाजुओं की ताकत आज़मा धारे न देख

क्यों तू आज इस कदर मायूस सा है
दिल को सब कहने दे सपने तू प्यारे न देख

घर को करले रोशन अंधेरों से न डर
बुझती हुई इस राख में जलते अंगारे भी देख

बून्द टपकी है तो बारिश ही होनी है
इन पक्षियों के होसलों की उड़ान को तू देख
@मीना गुलियानी 

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