एक दरिया है मीलों तक फैला हुआ
अपने बाजुओं की ताकत आज़मा धारे न देख
क्यों तू आज इस कदर मायूस सा है
दिल को सब कहने दे सपने तू प्यारे न देख
घर को करले रोशन अंधेरों से न डर
बुझती हुई इस राख में जलते अंगारे भी देख
बून्द टपकी है तो बारिश ही होनी है
इन पक्षियों के होसलों की उड़ान को तू देख
@मीना गुलियानी
अपने बाजुओं की ताकत आज़मा धारे न देख
क्यों तू आज इस कदर मायूस सा है
दिल को सब कहने दे सपने तू प्यारे न देख
घर को करले रोशन अंधेरों से न डर
बुझती हुई इस राख में जलते अंगारे भी देख
बून्द टपकी है तो बारिश ही होनी है
इन पक्षियों के होसलों की उड़ान को तू देख
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें