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शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

तन्हाई न जाने वाली

देखके हालात यूँ ही पशेमान न हो
साथ तेरे सच्चाई नहीँ जाने वाली

हवा का रुख भी आज बदला है
आग ये फिर भी नहीँ बुझने वाली

बारिशें कितनी भी आती जाती रहें
रिश्तों की खाई नहीँ पटने वाली

नाव  तो चलती रहेगी यूँ दरिया में
बिना पतवार नहीँ पार उतरने वाली

कौन सुनेगा बन्द कमरे में आवाज़ तेरी
इन दरीचों की खिड़की नहीँ खुलने वाली

दिल की हालत को बदल के देख ज़रा
चन्द नगमों से तन्हाई न जाने  वाली
@मीना गुलियानी 

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