मेरे ये गीत दिल तुम्हारा बहलायेंगे
मेरे बाद मेरी याद तुमको दिलायेंगे
यह सुनहरी धूप भी चुभती है आँखों को मेरी
थोड़ा आगे तुम बढ़ो दिलकश नज़ारे आएंगे
देखो छेड़ा न करो तुम हर समय इस साज़ को
काँपती हुई अँगुलियों से सुर कैसे निकल पाएंगे
एक ऐसी बात जो कितनी भली लगती है हमें
सुनते ही सीने की धड़कन रबाब वो बन जाएंगे
ऐसी आँधी है आई टूटकर जो हम गिरे
हमसे जुड़े नाम कई सामने फिर आएंगे
@मीना गुलियानी
मेरे बाद मेरी याद तुमको दिलायेंगे
यह सुनहरी धूप भी चुभती है आँखों को मेरी
थोड़ा आगे तुम बढ़ो दिलकश नज़ारे आएंगे
देखो छेड़ा न करो तुम हर समय इस साज़ को
काँपती हुई अँगुलियों से सुर कैसे निकल पाएंगे
एक ऐसी बात जो कितनी भली लगती है हमें
सुनते ही सीने की धड़कन रबाब वो बन जाएंगे
ऐसी आँधी है आई टूटकर जो हम गिरे
हमसे जुड़े नाम कई सामने फिर आएंगे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें