मैं अपनी चाहत के खोये पलों को
@मीना गुलियानी
अतीत के सागर से खोज लाऊँगा
मैं अपनी ग़ज़लों में रंग भरना चाहता हूँ
बहारों के गीत बाहों में भरके लाऊँगा
विदाई के सफर में दर्द होता तो है
वसन्त को मैं मुकाम पे पहुँचाऊँगा
अपने माथे से मैं उलझन की शिकन
रूठे हुओं को मनाकर मैं मिटाऊँगा
मेरी आहों की गंध अब न कभी आएगी
चाहत के फूल तेरी राहों में बिखराऊँगा
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