मैं और तुम मिलकर फिर से
जीवन की नई शुरुआत करें
आओ जीवन नए रंगों से भरें
नया इतिहास रचें गान करें
शंख बजाकर जीवन प्राण भरें
मंगलगान से गुंजायमान करें
@मीना गुलियानी
अच्छी संगत कीजिये जो आपकी
हर आदि व्याधि को हर लेगी
चाहे कितने भी अपराध करलो
अच्छी संगत से निष्पाप होता है
उसके दोषों का निवारण होता है
आत्मा शुद्ध होती है ज्ञान होता है
बुरे का संग करने से स्वाति की
एक बूँद केले के साथ कपूर और
सीप के संग मोती लेकिन साँप
के संग मिलने से ज़हर बनती है
जैसी संगत वैसा फल होता है
@मीना गुलियानी
तुम्हारे दूर होने से पतझड़ छा जाता
तुम्हारे आते ही ऋतु वसंत आ जाता
जिंदगी तुम्हारे आने से खिल जाती है
जीवन में नई उमंग ख़ुशी छा जाती है
मौसम तुम्हीं से जीवन में रंग भरते हैं
जीवन में प्राणों का संचार भी करते हैं
@मीना गुलियानी
सत्य ,अहिंसा और तप
जीवन के सिद्धांत हैं
इन्हें गाँधी जी ने
अपने जीवन में उतारा
अपने इन्हीं सिद्धांतों को
उन्होंने हर क्षेत्र में
हर परिस्थिति में
अपनाया प्रण पूर्ण किया
अपना नाम ऊँचा किया
@मीना गुलियानी
एक बार फिर से
जिंदगी को गले लगाया जाए
एक बार फिर से
रूठे हुओं को मनाया जाए
एक बार फिर से
रोते हुओं को हँसाया जाए
एक बार फिर से
मुकदद्ऱ को आज़माया जाए
@मीना गुलियानी
हैरान हूँ कि तुम अभी तक वैसे ही हो
भोलेपन , मासूमियत ,अल्हड़पन से
भरे हुए हो दुनिया कहाँ तक आ पहुँची
लेकिन तुम कौन सी सदी में जी रहे हो
अभी तक दुनियादारी में नासमझ हो
इस तरह से तो तुम ठगे ही जाओगे
थोड़ा होशियार बनकर व्यवहार करो
@मीना गुलियानी
बचा लिया तुमने
नहीं तो हम
डूब ही जाते
यादों के भंवर
से वैसे भी
कैसे निकल पाते
तेरे प्यार की
जलती हुई लौ
ने रोशन की
जिंदगी की शमा
जो बुझ रही थी
@मीना गुलियानी
तुम्हारे आने की महक
जो मुझ तक पहुँची
वो खुशबु मुझे इस
वीराने तक ले आई
दिल परवाने की तरह
बना खुशबु का दीवाना
साँसों ने उसे पहुँचाया
जहाँ था वो मयखाना
@मीना गुलियानी
हँसते हुए फिर उसने पूछा
इतना काजल क्यों लगाया
क्यों बालों को बिखराया
क्यों प्यारा मुखड़ा छुपाया
चाँद को भी तूने शर्माया
उफ़ ये क्या ज़ुल्म ढाया
कन्धे से आँचल सरकाया
करके इशारा मुझे बुलाया
पागल तूने मुझे बनाया
@मीना गुलियानी
एक आँसू ने मुझे आज
अपना दुखड़ा सुनाया
खुद भी वो रोया और
मुझे भी उसने रुलाया
सब ग़म वो चुपचाप
अपने दिल में छुपाता
पलकें बंद करके वो
सबके सामने मुस्काता
दुःख दर्द हँसके पीता था
इस तरह वो जीता था
और वो था अकेला
सबने उससे खेल खेला
पर कब तक वो सहता
इसलिए वो बोल पड़ा
@मीना गुलियानी
तेरी तस्वीर बनाने के लिए
अब रंग मैं कहाँ से लाऊँ
इसी सोच में कबसे बैठी हूँ
मैं तेरी तस्वीर कैसे बनाऊँ
जबसे तू मुझको छोड़ गया
तन्हा मैं यहाँ पर अकुलाऊँ
सारे रंग भी मुझसे रूठ गए
अब कैसे उनको मैं जुटाऊँ
भटकती फिरुँ तेरी चाहत में
कहीं प्यासी न मैं मर जाऊँ
@मीना गुलियानी
जिन्दगी तो हर पल हमें आज़माती है
राहों में हर पग पे काँटे वो बिछाती है
हमें धूप और साये में चलना पड़ता है
सूरज की तरह तपना जलना पड़ता है
कभी कभी मोम बन पिघलना पड़ता है
चट्टान बन अडिग रहना भी पड़ता है
नाकामियों के बाद मंजिल हम पाते हैं
कुछ बदनसीब तो राहों में हार जाते हैं
सुर्ख़रु होता है इंसा ठोकरें खाने के बाद
रंग लाती हिना पत्थर पे घिसने के बाद
@मीना गुलियानी
कभी कभी तो लगता है
तू मेरे नसीब में नहीं
तुझे खोने से डरता हूँ
पाने की कोशिश करता हूँ
विश्वास है मुझे खुद पर
इक दिन तुझे पा लूँगा
नसीब को बदल डालूँगा
@मीना गुलियानी
आप हमारे दिल में रहते हो
हम आपका उपकार कैसे भूलें
आपने ही आज़ाद हिन्द फौज़
बनाकर देश को आज़ाद कराने
में पूरा सहयोग दिया आपका
मूलमंत्र था तुम मुझे खून दो
मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा आपके
प्रयास सफल हुए लेकिन
होनी को कुछ और मंज़ूर था
आपसे हमें उसने जुदा किया
आप हमेशा के लिए खो गए
बहुत सबने खोजा नहीं मिले
मेरे हृदय की झील के अन्दर
शायद तुम्हारी ही परछाईं है
जो मेरे अंतर्मन को टटोल रही है
मेरे अंतर्मन में झाँक रही है
दिल को उसने अपनी आगोश में
भरा हुआ है अपने काबू में किया है
वो बार बार बाहर निकलने को
मचलता है वजूद उसकी मुट्ठी में है
परछाईं भी टस से मस नहीं हो रही
ये सब यही दर्शाता है की तुम इस
दिल के भीतर कितनी गहराई में हो
@मीना गुलियानी
तेरा यूँ मुँह को छिपाना
नज़रों का यूँ चुराना
पलकों की चिलमन को
उठाके गिराना उठाना
हौले हौले से मुस्कुराना
आँखों से शोखी टपकाना
जुल्फों का यूँ बिखराना
पल्लू को मुँह में दबाना
शरमा के छत पे जाना
सोचना बेवजह तो नहीं
सबका सबब है कि नहीं
@मीना गुलियानी
कभी फुरसत मिले जब तो
खुद से ही सवाल कीजिए
जवाब मिलेगा जान लीजिए
बड़ा लुत्फ़ आएगा मान लीजिए
ऐसे ही जीने का मज़ा लीजिए
उलझनें अपनी सुलझा लीजिए
@मीना गुलियानी
हमको दुनिया वाले ने हर तरह से नवाज़ा
हज़ारों तरह की नेमतें दी खुशनसीबी दी
फिर भी हम इतने नाफ़रामोश हैं कि
हर बार शुक्राना अता करने के बदले
शिकवा शिकायतें ही करते रहते हैं कमी ही
दर्शाते हैं उसकी रहमत की कोई कमी नहीं
हम खुद ही इस लायक नहीं हैं फिर भी
उस परवरदिगार का रहमो करम है हम पर
खुदा हमें इस काबिल बनाए कि हम सब
उसकी बारगाह में हाज़री कबूल करा सकें
@मीना गुलियानी
इतना बड़ा जहाँ है
कहीं भी घर बना लो
खुले आसमां के नीचे
ऊँचे पहाड़ों के पीछे
घने जंगलों के बीच
दरिया के बीचों बीच
घने पेड़ों की छाँव में
चलें अपने ही गाँव में
सुन्दर एक घर बनायें
अरमानों से सजाएँ
@मीना गुलियानी
आज ऐसा करते हैं
थोड़ा सा तुम बदलो
थोड़ा हम बदलते हैं
कुछ कदम तुम चलो
कुछ हम भी चलते हैं
थामे हुए हम हाथ
एक साथ चलते हैं
कभी जुदा न होंगे
हम वादा करते हैं
@मीना गुलियानी
सूरज की तरह तुम चमको
और धरा पे तुम छा जाओ
अपनी आभा का प्रकाश भी
चहुँओर तुम अब फैलाओ
मुस्कान लिए होठों पर तुम
सबके मन में घर कर जाओ
अपने कर्मों से आशीष पाओ
अँधियारा मन का मिटाकर
अपने नाम का डंका बजाओ
@मीना गुलियानी
मेरे इस हाल पे हँसने वालो
दिल की हालत क्या तुम जानो
काश हमारा ये दिल न होता
तो ऐसा मेरा भी हाल न होता
बेदर्दी ने दिल को ऐसे तोडा
मुझको कहीं का उसने न छोड़ा
सिर्फ कहने को मैं ज़िंदा हूँ
क्या बतलाऊँ मैं शर्मिन्दा हूँ
@मीना गुलियानी
तुम्हें पता भी न चलेगा
हम तुझमें ऐसे खो जायेंगे
मीठे सपनों में सो जायेंगे
मिलके जुदा भी हो जायेंगे
आँसु से पलकें भिगो जायेंगे
गहरी नींद में फिर सो जायेंगे
ढूँढ़ते रहोगे तुम खो जायेंगे
@मीना गुलियानी
करीब हो मगर
दूरी लगती है
लगता नहीं तुम
बिल्कुल पास हो
पास होकर भी
क्यों दूर हो
मिलने से भी
मजबूर क्यों हो
दूरी अब मुझसे
सही नहीं जाती
पास आ जाओ
दूरी मिटा जाओ
@मीना गुलियानी
डर लगता है
कातिल निगाहों से
फिकरे वालों से
घूरने वालों से
झाँकने वालों से
बेमुरव्वत लोगों से
बेवफा लोगों से
अजनबी लोगों से
शैतान लोगों से
झूठे लोगों से
चालबाज़ लोगों से
सफेद पोशों से
नकाब पोशों से
बदनीयत लोगों से
शराबी जुआरी से
मुकरने वालों से
@मीना गुलियानी
अपने वजूद से
शिकायत है मुझे
उससे मोहब्बत है
शिकायत भी है
चाहत तकरार भी
उससे शिकवा है
उसी से लड़ाई
बहुत बेरहम है
यकीनन बेवफा है
कहना नहीं मानता
कभी नहीं सुनता
अपना नहीं बनता
गैरों का बनता
मेरे लिए बेगाना
है वो दीवाना
@मीना गुलियानी
अपनी नाकामी अगर छुपाते तो
हम कामयाब तो हो ही जाते
लेकिन हमें ये गवारा न हुआ
ये खुद को धोखा देना ही हुआ
सच्चाई तो सामने आती ही है
झूठ की भी कलई खुल जाती है
तब सब लोग खिल्ली उड़ाते हैं
रिश्ते नाते अक्सर टूट जाते हैं
@मीना गुलियानी
जाने भी दो हुआ सो हुआ
सोचने से हासिल क्या हुआ
पल बीत गए उन्हें जाने दो
नए पलों को अब आने दो
हमे सपने नए सजाने दो
नया आशियाना बनाने दो
कुछ पल की मिली खुशियाँ
हँसके मिलकर बिताने दो
ग़म से भरे पल बीत गए हैं
सुकूँ जिन्दगी को पाने दो
@मीना गुलियानी
तुमने देखा नहीं
चेहरे पे मेरे
उमंग से भरा
भीना भीना रंग
मस्ती से सराबोर
टेसू सा चहुँओर
इंद्रधनुष सा रंग
खिली बहार सा
याद का रंग
प्यार का रंग
@मीना गुलियानी
वो लौटकर आने वाले थे
मालूम नहीं क्यों नहीं आये
खफ़ा होने का भी सबब नहीं
ऐसा तो कभी भी नहीं हुआ
कि कहा हो और नहीं लौटे
खुदा तुम्हारा निगहेबां हो
हर हाल में सलामत रखे
दिल का सलाम तुम्हें पहुँचे
@मीना गुलियानी
चेहरों के जंगल में
एक है चेहरा मेरा
जो छिपा भीड़ में
खो गया जंगल में
कहाँ ढूँढूँ अजनबी
अन्जाने जंगल में
लगता है मैं भी
खुद को भूल गया
वजूद ही खो दिया
@मीना गुलियानी
इस दुनिया में सबकी अपनी दुनिया है
सबने इसे अपने ढंग से इसे संवारा है
किसी ने कलात्मक रूप से रंग बिखेरे हैं
किसी ने बहुत सुंदर चित्र नक्श उकेरे हैं
कोई फूलों की गोद में सोता है तो कोई
काँटों की सेज़ को आँसुओं से भिगोता है
किसी की हर रात को मनती दीवाली है
तो किसी गरीब की यहाँ हर रात काली है
कोई हर समय हँसता रहता होकर बेफिक्र
किसी को हर समय होती गुज़ारे की फ़िक्र
सिर्फ ऐसा इन्सान यहाँ सुकूँ से जीता है
जिसने संयम, हौंसले से जीना सीखा है
@मीना गुलियानी
ज़रा सी मोहलत तो देते तुम
तुमने तो सम्भलने का भी
मुझे एक मौका तक न दिया
झटपट अपना दामन छुड़ा लिया
ये भी न सोचा हम जियेंगे कैसे
पहले तो तेरे कन्धे पे सिर रखके
दिल का सारा बोझ हल्का करते थे
अब हमारे दिल को कौन सम्भालेगा
@मीना गुलियानी
हिन्दी सिर्फ भाषा ही नहीं है
पूर्ण ज्ञान का यह सागर है
साहित्य की यही पहचान है
इसमें अलंकार, छंद,नवरस हैं
शब्द शक्तियाँ मुहावरे हैं
इसके साहित्य के कारण ही
इतिहास को भक्ति,रीति,
आधुनिक काल में बाँटा गया
राष्ट्रभाषा का सम्मान मिला
विदेशों में परचम लहराया
@मीना गुलियानी
तुम्हारी नज़र में मैं आज भले ही कुछ नहीं
मगर याद करो बीते हुए लम्हों को जब
मैं ही तुम्हारे हर दुःख सुख में साथ होती थी
कितने मतलबी हो तुम मतलब पूरा होते ही
मेरी जिंदगी से भी रेत की तरह फिसल गए
मैंने तुम्हे दिल में बसाया पलकों पे बिठाया
तुमने हर पल छल किये दिल से न अपनाया
फिर भी मैंने कभी शिकवा न किया दुआ दी
तुझे ऐसी जिंदगी न मिले जैसी मुझे मिली
@मीना गुलियानी
जिन्दगी से क्या शिकवा करना
सुख दुःख तो आते हैं क्यों डरना
तुम इनका हँसके मुकाबला करना
दुःख को भी तुम अंगीकार करना
सीखो तुम हर मुसीबत से लड़ना
रोते रोते भी मुस्कुराना हँसना
सीखो तुम हर हाल में जीना
चाक गिरेबाँ को भी तुम सीना
खुद अपने आँसुओं को भी पीना
@मीना गुलियानी
आज जाने क्या बात हुई
क्यों तेरी नज़र बदल गई
बेरहम तुम तो ऐसे न थे
बेमुरव्वत बेवफा भी न थे
न जाने किसने बहका दिया
बेवफाई से तुमने सिला दिया
हँसते हँसाते हमें रुला दिया
@मीना गुलियानी
तेरी अब बहुत जरूरत है मुझको
लेकिन अब कैसे कहूँ मैं ये तुझको
ये अन्जान राहें घेर लेती मुझको
तेरी सदा झकझोर देती है मुझको
क्यों सबकी निगाहें गैर लगती हैं
क्यों साहिल ने ठुकराया मुझको
@मीना गुलियानी
मन की स्लेट पर कौन लिखता है
कोई हमसे पूछता है तो जवाब है
हम खुद ही लिखते और मिटाते हैं
माथे की स्लेट पर ऊपरवाला और
मन की स्लेट पर हमारी तहरीर है
ऊपरवाले ने अमिट स्लेट लिखी है
लेकिन मन की स्लेट पर हम खुद
हमारे मन के विचार लिखते हैं
कभी सुख दुःख ईर्ष्या द्वेष भी
हम उसी स्लेट पर लिखते हैं फिर
उसे मिटाने के लिए सद्गुणों का
हमको सहारा भी लेना पड़ता है
मन की स्लेट हमारा आईना है
@मीना गुलियानी
जब तुम अपने लक्ष्य पर केन्द्रित होगे
कहीं न कहीं से झरोखा खुल जायेगा
तुम्हें आगे बढ़ने का रास्ता मिल जायेगा
रास्ते का पत्थर स्वत: ही हट जायेगा
तुम्हें किसी रेहबर का साथ मिल जायेगा
@मीना गुलियानी
किस ध्यान में डूबे रहते हो
क्यों तुम परेशान दिखते हो
यूँ उदास से क्यों फिरते हो
चुपचाप गुमसुम से रहते हो
बोझ ये दिल का हल्का करलो
हम को ग़म में शामिल करलो
@मीना गुलियानी
काम नहीं आसान बहुत लहरों से टकराना
है चुनौतीपूर्ण पर तनिक न तुम घबराना
सतत साधना बुद्धिबल से साहस बढ़ाएँ
यग निर्माण में जुड़े हम ऐसा कदम बढ़ाएँ
वैर भाव मिटादें सारे हर कटुता बिसरा दें
जन जन के मांनस में आशादीप जला दें
रोक न पाए कोई भी अक्षमता या लाचारी
हर अवरोध मिटादें पथ की ऐसी करें तैयारी
@मीना गुलियानी
कभी दूर रहके भी पास थे अब पास रहके भी दूर हैं
जाने क्यों हुए हैं ये फासले यही सोचके मजबूर हैं
क्यों निगाह तेरी बदल गई हुआ ऐसा कैसा कसूर है
अब मान जाओ कहा मेरा माफ़ करदो हुआ कसूर है
@मीना गुलियानी
मन का हर भेद कितना गहरा हो
चाहे प्रीत को दफना दो गहराई में
फ़िज़ा को ये प्रीत महका ही जाती है
मन की बात मुँह में चाहे न कहो
पर वो अश्रुधारा से फूट आती है
अब तो घटाएँ बिजलियाँ गिराती हैं
@मीना गुलियानी
मैंने क्षितिज के उस पार देखा
वहाँ दूर दूर तक कुछ नहीं था
फिर जब मैंने पलटकर देखा
मेरा पदचिन्ह वहीं था
सागर से गहरा आकाश से नीला
मेरा वजूद वहीं था
@मीना गुलियानी
हम दोनों के बीच का पुल
लगता है जुड़ सा गया है
जख्म दिल का भर गया है
सीने का दर्द मिट गया है
कोहरा अब छंट सा गया है
बंधन ज़माने का घट गया है
प्यार दिलों में बढ़ सा गया है
जादू सा कोई कर जो गया है
दुनिया में कोहराम मच गया है
@मीना गुलियानी
वक्त जैसा भी हो गुज़र ही जाता है
कुछ याद रहता है कुछ भूल जाता है
हसीन यादें दिल पे छाप छोड़ जाती हैं
वो गुज़रे पलों की हमें याद दिलाती हैं
भीगी हुई शाम और पूनम की वो रात
जहाँ जुल्फों के साये में थामा था हाथ
वो बिजली सी सिहरन कंपकपाते हाथ
सुहानी सी खुशबु और लरज़ते जज्बात
दिल में एक कसक सी उठती रहती है
तुम्हारी तस्वीर मुझसे बातें करती है
बताओ वो पल कैसे हम भूल पाएँ
वो गुज़रे पल काश फिर लौट आएँ
@मीना गुलियानी
इस पथ पर अन्जान मुसाफिर मिले
रास्ते में जुड़ते रहे यूँ ही काफ़िले
थक गई मैं जाने कब मंजिल मिले
आओ मिटादें आज हर शिकवे गिले
वादा किया मैंने खुद से जब तुम मिले
जीवन भर न होंगे कभी अब फासले
@मीना गुलियानी