इस पथ पर अन्जान मुसाफिर मिले
रास्ते में जुड़ते रहे यूँ ही काफ़िले
थक गई मैं जाने कब मंजिल मिले
आओ मिटादें आज हर शिकवे गिले
वादा किया मैंने खुद से जब तुम मिले
जीवन भर न होंगे कभी अब फासले
@मीना गुलियानी
रास्ते में जुड़ते रहे यूँ ही काफ़िले
थक गई मैं जाने कब मंजिल मिले
आओ मिटादें आज हर शिकवे गिले
वादा किया मैंने खुद से जब तुम मिले
जीवन भर न होंगे कभी अब फासले
@मीना गुलियानी
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