मेरे हृदय की झील के अन्दर
शायद तुम्हारी ही परछाईं है
जो मेरे अंतर्मन को टटोल रही है
मेरे अंतर्मन में झाँक रही है
दिल को उसने अपनी आगोश में
भरा हुआ है अपने काबू में किया है
वो बार बार बाहर निकलने को
मचलता है वजूद उसकी मुट्ठी में है
परछाईं भी टस से मस नहीं हो रही
ये सब यही दर्शाता है की तुम इस
दिल के भीतर कितनी गहराई में हो
@मीना गुलियानी
शायद तुम्हारी ही परछाईं है
जो मेरे अंतर्मन को टटोल रही है
मेरे अंतर्मन में झाँक रही है
दिल को उसने अपनी आगोश में
भरा हुआ है अपने काबू में किया है
वो बार बार बाहर निकलने को
मचलता है वजूद उसकी मुट्ठी में है
परछाईं भी टस से मस नहीं हो रही
ये सब यही दर्शाता है की तुम इस
दिल के भीतर कितनी गहराई में हो
@मीना गुलियानी
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