जिन्दगी तो हर पल हमें आज़माती है
राहों में हर पग पे काँटे वो बिछाती है
हमें धूप और साये में चलना पड़ता है
सूरज की तरह तपना जलना पड़ता है
कभी कभी मोम बन पिघलना पड़ता है
चट्टान बन अडिग रहना भी पड़ता है
नाकामियों के बाद मंजिल हम पाते हैं
कुछ बदनसीब तो राहों में हार जाते हैं
सुर्ख़रु होता है इंसा ठोकरें खाने के बाद
रंग लाती हिना पत्थर पे घिसने के बाद
@मीना गुलियानी
राहों में हर पग पे काँटे वो बिछाती है
हमें धूप और साये में चलना पड़ता है
सूरज की तरह तपना जलना पड़ता है
कभी कभी मोम बन पिघलना पड़ता है
चट्टान बन अडिग रहना भी पड़ता है
नाकामियों के बाद मंजिल हम पाते हैं
कुछ बदनसीब तो राहों में हार जाते हैं
सुर्ख़रु होता है इंसा ठोकरें खाने के बाद
रंग लाती हिना पत्थर पे घिसने के बाद
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें