तेरा यूँ मुँह को छिपाना
नज़रों का यूँ चुराना
पलकों की चिलमन को
उठाके गिराना उठाना
हौले हौले से मुस्कुराना
आँखों से शोखी टपकाना
जुल्फों का यूँ बिखराना
पल्लू को मुँह में दबाना
शरमा के छत पे जाना
सोचना बेवजह तो नहीं
सबका सबब है कि नहीं
@मीना गुलियानी
नज़रों का यूँ चुराना
पलकों की चिलमन को
उठाके गिराना उठाना
हौले हौले से मुस्कुराना
आँखों से शोखी टपकाना
जुल्फों का यूँ बिखराना
पल्लू को मुँह में दबाना
शरमा के छत पे जाना
सोचना बेवजह तो नहीं
सबका सबब है कि नहीं
@मीना गुलियानी
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