आँखें रहकर चुपचाप हर ग़म झेलतीं हैं
अश्कों को बहा दिल का राज़ खोलती हैं
नादां है जो न समझे इनकी मूक भाषा
ये मासूम प्यार इनमे भरकर उड़ेलती हैं
@मीना गुलियानी
अश्कों को बहा दिल का राज़ खोलती हैं
नादां है जो न समझे इनकी मूक भाषा
ये मासूम प्यार इनमे भरकर उड़ेलती हैं
@मीना गुलियानी
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