यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

जिंदगी ठहर जा

दिल की क़शमक़श और उलझनों में 
उम्मीद की अपनी मैंने ढाल बनाई है 
जिंदगी तुझसे आगे निकलने को 
मैंने भी तो अपनी रफ्तार बढ़ाई है 
तुझसे  खेलने में मज़ा आने लगा है 
जीतने के लिए हौसला अफ़्जाई है 
माना कि कुछ पल ग़म के मिले हैं 
सुनहरे पलों ने कीमत चुकाई है 
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें