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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

यह सन्नाटा

यह सन्नाटा मरघट जैसा हमें लगता है
बेहद डरावना सुनसान काटने लगता है
जाने कब तक धरा को सहना पड़ता है
इस पर सांस लेना भी भारी लगता है
 लाचारों का दुःख हृदय विदीर्ण करता है
प्रलय सदृश्य वातावरण ये लगता है
सब कुछ उसके हाथ जाने कब सुनता है
प्रतीक्षा है कब जीवन पटरी पर आता है
@मीना गुलियानी 

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