यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 19 अप्रैल 2020

उस पार चलें

आओ नदिया के उस पार चलें
वहाँ कल कल जलधारा बहती है
ठंडी ह्वाएँ मन को  मोहती हैं
फूलों की सुरभि मदहोश करती है
सन सन  फिजाएँ बहकाती हैं
जहाँ पर्वत से सुरम्य झरने बहते हैं
बरगद के पेड़ की छाँव में चलें
वहाँ हम दोनों प्रेम से झूला झूलें
एक दूसरे के गिले शिकवे सब भूलें
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें