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गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

कड़वा सच है

वक्त ने मुझे ऐसे मोड़ पे
लाकर खड़ा कर  दिया
कितना कोहराम मचता है
पर सुनता ही कौन है
कभी मेरे अन्तर में
झरना बहा करता था
आज वो एक रेगिस्तान
बन चुका है
यह सब वक्त की
विडम्बना, कड़वा सच है 
@मीना गुलियानी

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