तेरे दर्शन को मै पाना चाहती हूँ तेरे धाम पर मै आना चाहती हूँ
तेरी कृपा को मै पाना चाहती हूँ तस्वीर दिल में बसाना चाहती हूँ
तेरा हाथ बाबा जी मेरे सिर पर है
न मुझको है डर और न मुझको फ़िक्र है
तेरे चरणों पे झुका मेरा सर है
रस्ता कठिन पर मै आना चाहती हूँ
पूजा के फूल मै चढ़ाना चाहती हूँ
तेरे सिवा बाबा मेरा कोई नही है
सारी ये दुनिया वैरी बनी है
तेरी कृपा जब मुझपे हुई है
मै हर पल तुझे ही ध्याना चाहती हूँ
मनमंदिर में बिठाना चाहती हूँ
कहाँ जाऊँ और कहाँ ढूढूँ सहारा
तेरे बिना दुनिया में कौन हमारा
नैया कमज़ोर कैसे पाये किनारा
तुमको खिवैया मै बनाना चाहती हूँ
रूठे हो तुम मै मनाना चाहती हूँ
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