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शुक्रवार, 15 मई 2015

गुरुदेव के भजन-305(Gurudev Ke Bhajan 305)



तर्ज ---वो दिल कहाँ से लाऊँ 

तेरा द्वार छोड़कर मै जाऊं कहाँ बता दे 
मै रास्ते को भूला मुझे रास्ता दिखा दे 

दुनिया ने मुझको लूटा हर नाता जग से टूटा 
तुम पर भरोसा मुझको बिगड़ी मेरी बना दे 

तुझको ही है पुकारा तेरा ही है सहारा 
अपनी शरण में ले लो भव पार तू लगादे 

निर्बल की लाज रखना मेरा ध्यान बाबा रखना 
भव बंधनो से आकर बाबा मुझे छुड़ा दे 

तेरे सिवा न दूजा करती हूँ तेरी पूजा 
भक्ति तेरी मै पाऊँ जीवन सफल बना दे 

मेरे सिर पे हाथ रखदे नज़रे मेहर की करदे 
अज्ञान दूर करके दुखड़े मेरे मिटादे 

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