इक मुलाकात में सारी उम्र चली जाती है
आंसू के कण में सृष्टि सिमट जाती है
अंतर्मन में मीठे पानी की लहर आती है
जिसमें सूने मन की रेत भीग जाती है
मन की माला कोमल किसलयी हो जाती है
मलयानिल सुगंध अपनी लुटा जाती है
खुशियों की सीपियाँ जो जिंदगी चुराती है
फ़ुरक़त के पलों मेँ समेटकर ले आती है
@मीना गुलियानी
आंसू के कण में सृष्टि सिमट जाती है
अंतर्मन में मीठे पानी की लहर आती है
जिसमें सूने मन की रेत भीग जाती है
मन की माला कोमल किसलयी हो जाती है
मलयानिल सुगंध अपनी लुटा जाती है
खुशियों की सीपियाँ जो जिंदगी चुराती है
फ़ुरक़त के पलों मेँ समेटकर ले आती है
@मीना गुलियानी