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गुरुवार, 30 नवंबर 2017

समेटकर ले आती है

इक मुलाकात में सारी उम्र चली जाती है
आंसू के कण में सृष्टि सिमट जाती है

अंतर्मन में मीठे पानी की लहर आती है
जिसमें सूने मन की रेत भीग जाती है

मन की माला कोमल किसलयी हो जाती है
 मलयानिल सुगंध अपनी लुटा जाती है

खुशियों की सीपियाँ जो जिंदगी चुराती है
फ़ुरक़त के पलों मेँ समेटकर ले आती है
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. राम मंदिर की सुरुआत होगा, किसीकी डैम हो तो रुक लो,
    या तीन अस्त्र को देखा ले कोंग्रेसी दलाल, या अस्त्र राम मंदिर खुद बनाएगा, और लाल चौक पर झाड़ा फिरायेगा, अगर जरुरत हो तो पाकिस्तान को हिंदुस्तान बना देगा और कांग्रेस की खाल उतर देगा, दुनिया की डिजिटल अस्त्र हो या,

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