आज की नारी घर बाहर संभाल लेती है
हर मुश्किल का वो हल निकाल लेती है
दुखी होने पर ग़म हँसी में टाल देती है
घर में शान्ति के लिए चुप्पी साध लेती है
बिन कहे सबके मन की जान लेती है
मसरूफ़ियत में खुद को तलाश लेती है
खुद टूटने पर भी खुद को संभाल लेती है
छटपटाहट को मुस्कुराहट में ढाल लेती है
अपनी भावनाओं को दिल में उतार लेती है
प्रेम की चाह में सारा जीवन गुज़ार लेती है
@मीना गुलियानी
हर मुश्किल का वो हल निकाल लेती है
दुखी होने पर ग़म हँसी में टाल देती है
घर में शान्ति के लिए चुप्पी साध लेती है
बिन कहे सबके मन की जान लेती है
मसरूफ़ियत में खुद को तलाश लेती है
खुद टूटने पर भी खुद को संभाल लेती है
छटपटाहट को मुस्कुराहट में ढाल लेती है
अपनी भावनाओं को दिल में उतार लेती है
प्रेम की चाह में सारा जीवन गुज़ार लेती है
@मीना गुलियानी
मेरे प्यारे देशवासियों, तुम संसार की आबादी का पांचवां या छठा भाग हो.तुम्हारा गौरवशाली अतीत है.पूरी दुनिया की तुम पर नजर है.तुम जब भी चाहो अपना लोहा मनवा सकते हो. पूरी दुनिया को झख मर कर तुम्हारी बात माननी ही पड़ेगी .तुम सभी स्त्रियों को शिक्षित और सबल बनाने का बीड़ा ही उठा लो. इससे समाज को तुरंत ही लाभ मिलने लगेगा. शिक्षाविद तो यहाँ तक कहते हैं कि एक MAAN अपने बचों को पहले पांच वर्ष में जो शिक्षा दे देती है वह तुम बाद में कितने भी विश्वविद्यालयय खोल कर नहीं दे सकते.इसलिए स्त्रियों का शिक्षित और जागरूक होना जरूरी है.
जवाब देंहटाएंकिसी भी सभ्यता का vikas उतना ही होता है जितना ऊँचा स्थान उस में स्त्री का होता है .स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि जब तक स्त्रीयों की दशामें सुधार नहीं
होता संसार का भला तब तक संभव नहीं है .कोई भी पक्षी केवल एक ही पंख से नहीं उड़ सकता.-swami vivekanand
1 राजा राममोहन राय ने विलियम बेंटिक के साथ मिल कर सती प्रथा को बंद करने के लिए बहुत काम किया था .
२ श्री कृष्ण का जन्म भी देवकी,यशोदा ,देवकी की बेटी के बलिदान के
कारण ही बच सका था.वे इस बात को जीवन भर नहीं भूले.उन्होंने यह साबित करने का प्रयत्न किया कि स्त्रियों के गुण पुरुषों से कम नहीं हैं.
३स्वामी दयानंद सरस्वती स्त्री स्वतंत्रता,स्त्री शिक्षा,विधवा पुनर्विवाह के प्रबल समर्थक और बाल विवाह के प्रबल विरोधी थे.उनहोंने वेदों की शिक्षा में ही सब समस्याओं का हल ढूँढा.
महात्मा रामकृष्ण परमहंस जी तो सभी स्त्रियों को माँ काली का अवतार मानते थे.
ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने भी जीवन भर स्त्री शिक्षा के लिए बहुत काम किया.भारतेंदु हरिश्चंद्र जी भी स्त्री शिक्षा के प्रब.LLल समर्थक थे
५ पत्नी जीवन के हर
क्षेत्र में पति के कंधे से कंधा मिला कर चलती है और उसकी मदद करती है.जीवन को संतुलित और मर्यादित रखती है. लम्बे और सुखी जीवन के लिए दो वसुएँ जरूरी हैं.एक तो शांत दिमाग और दूसरा प्रेम करने वाली पत्नी. पत्नियाँ जवानी पतियों की स्वामिनी ,मध्य आयु में मित्र और बुढ़ापे में सेविका होती हैं.
६जब पति लम्बे समय के लिए घर से बहर जाता है तो पत्नी का दायित्व बहुत बढ़ जाता है.पर फिर भी अपने सशक्त घरेलू प्रशासन के चलते वह सब काम ठीक तरह चला ही लेती है.चाहे उसे अकेले कितना ही कष्ट उठाना पड़े..
.वही बच्चे जीवन में सफल रहते हैं जिनकी माताएं सख्त और जागरूक होती हैं.
भारत की आज़ादी की लड़ाई में स्त्रीयों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया था।हमारे समाज से बाल विवाह , भ्रूण हत्या,स्त्रीयों पर अत्याचार जैसी बुराइयाँ दूर की जाएँ.हमें यह भी देखना होगा कि क दूसरों लो भोजन परोसनेवाली खुद कहीं कुपोषण का शिकार न बने .सामाजिक निर्णय लेने में इन्हें ज्यादा से ज्यादा भागीदार बनाया जाए।इनके लिए स्व्रोजगर योजनाएँ हों ताकि यह घरेलू और बाहर की जिम्मेवारी हँसते हँसते निभा सकें।इनकी उन्नति के रास्ते में रोड़े न अटकाये जायें, समाज में इस बात की जागरूकता हो।
13देखो मत अब देर लगाओ
फोरन यहां दौड़ कर आओ
रुके काम को आगे बढ़ाओ
नारी को शिक्षित सबल बनाओ
१४ जितनी देर इस काम में होगी
उतनी हानि इस देश कि होगी
पिछड़ा अपना देश रहेगा
जग में बहुत हँसाई होगी
१५ अगर सबल यह जाति होगी
हानि न तनिक तुम्हारी होगी
देश का जग में नाम बढ़ेगा
सभी ओर वाहवाही होगी
१६ हम नाम लेते शक्ति का
करें अनादर स्त्री जाति का
हम यह कैसा खेल दिखाते
जग में बस पाखंड मचाते
१७ इनके विकास से किसी का कोई नुकसान नहीं है इनके विकास का लाभ समाज को तुरत मिलने लगेगा
१८ काम नहीं किसी एक के बीएस कासब को आगे आना होगा
अपने सुनहरे कल की खातिर
नारी क सबल बनाना
१९ इसीलिए कहता मेरे भाई
सब जन ज्ञान सुनो चित लाई
सारे मिल कर आगे आओ
नारी को शिक्षित सबल बनाओ
२०-२१ पहचान लो यह वही जाति है,जिसने सुख दुःख में तुम्हारा साथ दिया था,दिया है और देती रहेगी.
२२ यहाँ एक चेतवानी भी दिए देते हैं कि यह जाति अपने सेवाभाव के कारण शासित हो कर भी शासन करने में समर्थ है इसलिए इस पर शासन करने का लालच न कर बैठना.
२३ लालच बुरी बला मेरे भाई
लालच कभी न करना
लालच के चलते पड़ सकता हमें
बिना मौत के मरना .
ashok