आज डोलने लगे धरा भी
ऐसी तुम हुंकार लगा दो
धरती से अंबर सब डोले
अलख का नारा लगा दो
जाग उठे सारी ये जनता
सोये इनके भाग्य जगा दो
खोया सब विश्वास ये पाएं
ऐसा कुछ करके दिखला दो
हर नारी सम्मान को पाए
ऐसी जागृति देश में ला दो
सबकी मर्यादा रहे सुरक्षित
सुप्त संस्कारों को जगा दो
देश में सब खुशहाल रहें
शान्ति का मार्ग दिखा दो
सबकी हर पीड़ा मिट जाए
ऐसा प्रेम का दीप जला दो
कोई रहे न भूखा प्यासा
अन्न समस्या सुलझा दो
हर कोई सुख से सो जाए
ऐसी कोई व्यवस्था बना दो
@मीना गुलियानी
ऐसी तुम हुंकार लगा दो
धरती से अंबर सब डोले
अलख का नारा लगा दो
जाग उठे सारी ये जनता
सोये इनके भाग्य जगा दो
खोया सब विश्वास ये पाएं
ऐसा कुछ करके दिखला दो
हर नारी सम्मान को पाए
ऐसी जागृति देश में ला दो
सबकी मर्यादा रहे सुरक्षित
सुप्त संस्कारों को जगा दो
देश में सब खुशहाल रहें
शान्ति का मार्ग दिखा दो
सबकी हर पीड़ा मिट जाए
ऐसा प्रेम का दीप जला दो
कोई रहे न भूखा प्यासा
अन्न समस्या सुलझा दो
हर कोई सुख से सो जाए
ऐसी कोई व्यवस्था बना दो
@मीना गुलियानी
nice poem-comment after sometime
जवाब देंहटाएंGHR GHR SHIKSHA KA DEEP JLAO
जवाब देंहटाएंGHR GHR MEIN UJIYAARA LAO
UJIYAARA JG KO ROSHN HAI KRTA
NAI SHKTI JIVN MEIN BHRTAA
IS UJIYAARE KO APNAAO\
2BDHE GYAAN HO JIVN UJLLA
HO DOOR MN KA ANDHERAA
APNE JIVN KO MEHKAOO
GHR GHR SHIKSHAA KAA DEEP JLAOO--ASHOK
अब मिटे कालिमा काल की
जवाब देंहटाएंजीवन में हो उल्लास
अब बीते रात पतझड़ की
आये वसंत का नवप्रभात
लदें वृक्ष सब फलों से
कलियाँ महकें
और खेत खलिहान भरें
धानी चुनर पहने धरती का
नया नया परिहास
जल उठें तुरंत बुझते दीपक
उमड़े नवजीवन की आशा
अब मिले अनुतरित प्रश्नों की
बस एक नई सी परिभाषा
पूरी हो जनमानस की आस
झिलमिल सुख सपनों का आकाश
युग बदले कटे तिमिर
मन में हो दृढ विशवास
उतरे माँ शारदा सूर्य रश्मि रथ से
फैले चहुं ओर प्रकाश
बुझ जाए अब युग युग की प्यास
जग में नव मूल्यों का उजास
माता तुम्हारी दया से उपजे ज्ञान प्रवाह 0
मुखरित हों नव गीत नित
भरें जीवन में उत्साह
जग में बस तुमसा न कोई
हमको बस एक तुम्हारी आस
-Ashok Kumar
अब मिटे कालिमा काल की
जीवन में हो उल्लास
अब बीते रात पतझड़ की
आये वसंत का नवप्रभात
लदें वृक्ष सब फलों से
कलियाँ महकें
और खेत खलिहान भरें
धानी चुनर पहने धरती का
नया नया परिहास
जल उठें तुरंत बुझते दीपक
उमड़े नवजीवन की आशा
अब मिले अनुतरित प्रश्नों की
बस एक नई सी परिभाषा
पूरी हो जनमानस की आस
झिलमिल सुख सपनों का आकाश
युग बदले कटे तिमिर
मन में हो दृढ विशवास
उतरे माँ शारदा सूर्य रश्मि रथ से
फैले चहुं ओर प्रकाश
बुझ जाए अब युग युग की प्यास
जग में नव मूल्यों का उजास
माता तुम्हारी दया से उपजे ज्ञान प्रवाह 0
मुखरित हों नव गीत नित
भरें जीवन में उत्साह
जग में बस तुमसा न कोई
हमको बस एक तुम्हारी आस
-Ashok Kumar