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सोमवार, 6 नवंबर 2017

दूर कहीं फिर मेरे होकर

आज तुम फिर से अजनबी बन जाओ
फिर से धीरे धीरे दिल में उतर जाओ

न पूछूँ गाँव तुम्हारा न पूछूँ  नाम तुम्हारा 
दोनों ही चुपचाप रहें आँखे ही करदे इशारा

 सागर का हो किनारा जहाँ थामा हाथ हमारा
चलें हम साथ साथ आये नज़र वही  नज़ारा

रेत के फिर महल बनाएं पलकों में सपने जगायें
चुपके चुपके चोरी से दिल की धड़कन बन जाएँ

सागर की लहरें जब हमसे करे अठखेलियाँ
तब हम भी किनारे  पे बैठे और ढूंढें सीपियाँ

रह जाएँ ये पल तब हमारे दिल में बसकर
जाना न मुझसे दूर कहीं फिर मेरे होकर
@मीना गुलियानी 

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