विरक्त मेरा मन हो चला
देखकर संसार की वृत्तियाँ
कुत्सित भावना छल प्रवृति
मन मेरा संतप्त हो चला
मचा हर तरफ हाहाकार
भूख बेबसी सब लाचार
कुछ जीवन से गए हार
किया परित्याग समझ बेकार
देखी नहीं जाती उनकी दुर्दशा
मन मेरा व्याकुल हो उठा
चाहूँ मैं भी कुछ करूँ आज
जिससे मिले सबको अनाज
सबके घरों में चूल्हे जलें
कोई भी भूखा न रहे
सबके बच्चे फूले फलें
तब तृप्ति मन को मिले
सबकी बेटियाँ शिक्षा पायें
कुंठित भावनाएँ नष्ट हों
मन सबके शुद्ध पावन हों
कोई भी न पथभ्र्ष्ट हो
ईश्वर सबको सद्ज्ञान दे
बुद्धि और क्षमादान दे
सबको सन्मार्ग पे लाये
संवेदना दिल में जगाएं
@मीना गुलियानी
देखकर संसार की वृत्तियाँ
कुत्सित भावना छल प्रवृति
मन मेरा संतप्त हो चला
मचा हर तरफ हाहाकार
भूख बेबसी सब लाचार
कुछ जीवन से गए हार
किया परित्याग समझ बेकार
देखी नहीं जाती उनकी दुर्दशा
मन मेरा व्याकुल हो उठा
चाहूँ मैं भी कुछ करूँ आज
जिससे मिले सबको अनाज
सबके घरों में चूल्हे जलें
कोई भी भूखा न रहे
सबके बच्चे फूले फलें
तब तृप्ति मन को मिले
सबकी बेटियाँ शिक्षा पायें
कुंठित भावनाएँ नष्ट हों
मन सबके शुद्ध पावन हों
कोई भी न पथभ्र्ष्ट हो
ईश्वर सबको सद्ज्ञान दे
बुद्धि और क्षमादान दे
सबको सन्मार्ग पे लाये
संवेदना दिल में जगाएं
@मीना गुलियानी
सुंदर मनोभाव प्रकट करती सरोकार दिखाती रचना हेतु बधाई
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार उन्मूलन--जन जागरण
जवाब देंहटाएं१ जागो अब मिल भारतवासी
आई विपदा भारी
बढ़ता भ्रष्टाचार है नष्ट कर रहा
जीवन व्यवस्था हमारी
२ कैसे विकास का लाभ
जन जन तक पंहुचे
यह विपदा है भारी
अपने तो बस हाथ बंधे हैं
है मजबूरी और लाचारी
३, भ्रष्टाचार के बढ़ जाने से
कुछ बनें हालात ऐसे
जो हमारे जन जीवन को प्रभावित कर सकते
आओ हम सब मिल कर सीखें
बचना इन से कैसे
४. बहुत समस्यायें हैं भ्रष्टाचार उन्मूलन में
सोच सोच सर होता भारी
ज्यादा लिखें तो डर है हमको
टूट न जाए कलम हमारी
५. विपदाओं पर क्या हम रोयें
व्यर्थ में अपना नीर बहायें bhayen
आओ उठ कर इनका हल खोजें
अब अनर्थ को मार भगायें
६ . करें जागरूक हम जन मानस को
समस्या की विकटता उसे समझायें
लें सहयोग हम पूरा उसका
समस्या के हल में भागीदार बनाएं
७ . काम नहीं किसी एक के बस का
सब को आगे आना होगा
अपने सुनहरे कल की खातिर
भ्रष्टाचार मिटाना होगा
८ आत्मनिर्भर देश बने
बढ़े इसका आत्मसम्मान
अमर रहे स्वतंत्रता इसकी
बढे सभी का ज्ञान
९ बढे प्रतिष्ठा देश की
न हो कमजोर गरीब का शोषण
आओ मिल कर हाथ बढायें
करें भ्रष्टाचार उन्मूलन
अशोक