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शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

हमपे इनायत नहीं रही

हमने अकेले सफर किया है तमाम उम्र
किसी मेहरबां की हमपे इनायत नहीं रही

कुछ दोस्तों से हम भी मरासिम नहीं रहे
कुछ दुश्मनों से हमारी अदावत नहीं रही

तकल्लुफ़ से कुछ कहें तो बुरा मानते हैं
रो रो के बात करने की आदत नहीं रही 

सीने में जिंदगी अभी सलामत है मगर
इस जिंदगी की कोई ज़रूरत नहीं रही

कितनी मशालें लेके चले थे सफर पे हम
जो रौशनी थी वो भी सलामत नहीं रही

खण्डहर बचे हुए हैं इमारत कोई नहीं रही
अब तो हमारे सर पे कोई छत नहीं रही
@मीना गुलियानी 

5 टिप्‍पणियां:

  1. हमपे इनायत नहीं रही
    हमने अकेले सफर किया है तमाम उम्र
    किसी मेहरबां की हमपे इनायत नहीं रही

    कुछ दोस्तों से हम भी मरासिम नहीं रहे
    कुछ दुश्मनों से हमारी अदावत नहीं रही

    तकल्लुफ़ से कुछ कहें तो बुरा मानते हैं
    रो रो के बात करने की आदत नहीं रही

    सीने में जिंदगी अभी सलामत है मगर
    इस जिंदगी की कोई ज़रूरत नहीं रही

    कितनी मशालें लेके चले थे सफर पे हम
    जो रौशनी थी वो भी सलामत नहीं रही

    खण्डहर बचे हुए हैं इमारत कोई नहीं रही
    अब तो हमारे सर पे कोई छत नहीं रही
    @मीना गुलियान
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    उत्तर
    1. 1HMNE iS Jivn mein jo kuch bhi paaya hai,apne bl pr hi paya hai.kisi ne mehr bani krke,thali mein pros kr nhin diya hai
      2 hmara koi dost ya dushmn nhin tha
      3 logon ko jb mtb hota hai to vh bde hi meethe bn jaate hain.hmaari yh aadt hai ki apni smsya khud hl kro.kisi ke aagey rone se kya faayda?-ashok
      4apna haath jgnnath
      5hm phle se yh jante they,ki sara kors khud hi gana pdta hai.
      6 kuch nhin bcha to na shi.bno poore deeth beshrm apni dhun ke pkee,jo kaam hath mein jo,usey poora kro,chahe kismt mein hon kitney hi dhkee-ashok

      हटाएं
  2. तव कर कमले नख अद्भुतश्र्नग्म.
    दलित हिरन्यकश्यप तनु भृंगम
    केशव् धृत नरहरी—नरसिंह रूप
    जय जगदीश हरे
    जिनके करकमलों में अद्भुत नाख़ून हैं.जिनसे तुच्छ भृंग हिरन्यकश्यप को चीर डालने वाले नरसिंह रूप धारी जगतपति केशव की जय हो
    बांग्ला कई जयदेव

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