यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 3 अक्टूबर 2020

तर्ज़--बड़ी दूर से आये हैं

बड़ी दूर से आये हैं गुरूजी आस ये लाये हैं 
सबकी सदा सुन लो गुरूजी आशा लाये हैं 

तुमको ही माना है जमाना लगे झूठा 
तुम ही अपने हो जग लागे मुझे  झूठा 
ये बंधन - तोड़ के आये हैं --------गुरु जी 

ढूँढा ये सारा जहाँ है कोई नहीं अपना 
झूठी प्रीत इनकी ये जग इक सपना 
ये नाते --तुमने निभाए हैं --------गुरूजी 

गुरूजी मेरी नाव पड़ेगी तुम्हें खेनी 
तुम्ही तो पालनहार सुरक्षा तुम्हें देनी 
भव पार ---तूने कराये हैं -----------गुरूजी 
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें