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बुधवार, 7 अक्टूबर 2020

तर्ज --आपकी नज़रों ने समझा

माता तेरा बाल हूँ मैं यूं न तू ठुकरा मुझे    (bhent)
दर पे तेरे आ गया माँ फिर गले से लगा मुझे 

गम से मैं घबरा गया द्वार तेरे आ गया 
अपने कर्मों को देखकर माता मैं शर्मा गया 
पार करना भव से माता समझकर नादां मुझे ---

माता मैं मजबूर हूँ तुझसे जो मैं जो दूर हूँ 
दिल लुभाया विषयों ने फिर क्यों मगरूर हूँ 
दुनिया से घबरा के माता दिल ने दी है सदा तुझे ----

मुझको न बिसराओ तुम अब तो माँ आ जाओ तुम 
बाळ तेरा हूँ मैया मुझको गले से लगाओ तुम 
तेरे चरणों में पड़ा हूँ माता तू अपना मुझे -----
@मीना गुलियानी 

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