दर पे तेरे आ गया माँ फिर गले से लगा मुझे
गम से मैं घबरा गया द्वार तेरे आ गया
अपने कर्मों को देखकर माता मैं शर्मा गया
पार करना भव से माता समझकर नादां मुझे ---
माता मैं मजबूर हूँ तुझसे जो मैं जो दूर हूँ
दिल लुभाया विषयों ने फिर क्यों मगरूर हूँ
दुनिया से घबरा के माता दिल ने दी है सदा तुझे ----
मुझको न बिसराओ तुम अब तो माँ आ जाओ तुम
बाळ तेरा हूँ मैया मुझको गले से लगाओ तुम
तेरे चरणों में पड़ा हूँ माता तू अपना मुझे -----
@मीना गुलियानी
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