यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

तर्ज --कीर्तन (भेंट)

जी मेरी शेरां वाली दे आगे वंदना 

इक वारी वंदना हज़ार वारी वंदना 

--

मेरी मैया दे गल विच हार वे 

मैं तां आई मैया दे दरबार वे 

ओथों मुक्ति डा दान ऐसा मंगणा ----


मेरी मैया दे द्वारे जो कोई आवे 

मुओं मँगिया मुरादा ं पावे 

एदे दर तो सब कुछ मंगणा ---


मेरी मैया जहाज बनाया 

अपनी शक्ति दे नाल चलाया 

आवो आवो जिन्हां ने पार लंगणा --

@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें