यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 1 दिसंबर 2019

ज़िन्दगी मिले तो उससे पूछूँ

ज़िन्दगी मिले तो उससे पूछूँ
क्यों इतनी तेज़ चलती है
ज़रा सी देर भी रूकती नहीं
मेरी तो जान भी निकलती है
सांसों की डोर भी कोई थामे
ये मुझसे नहीं सम्भलती है
@मीना गुलियानी  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें