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गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

घर घर ही नहीं रहे

अब घर घर ही नहीं रहे
घर के सब लोग बंट गए
बुजुर्ग लोग वृद्धाश्रम गए
परिवार हिस्सों में बंट गए
न बड़ों का मान सम्मान है
न  कोई आन बान शान है
घर को देख कसक होती है
इक घुटन दिल में होती है
पहले घर में रसोई एक थी
सबकी कमाई भी नेक थी
अच्छा गुज़ारा चलता था
सबका पेट भर जाता था
अब सारे लोग कमाते हैं
पर गुज़ारा न कर पाते हैं
@मीना गुलियानी


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