यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

दूसरों के लिए

दूसरों के लिए कौन सोचे यहाँ
फुरसत है किसें इतनी भी यहाँ
सभी मसरूफ ही रहते सब यहाँ
किसको क्या पड़ी जो सोचे यहाँ
सभी अपना राग अलापते यहाँ
मतलब की दुनिया कोई न यहाँ
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें