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मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

तुम उस किताब की तरह हो

तुम उस किताब की तरह हो जिसे
बार बार पढ़ने को जी चाहता है
 छूते ही सारी कहानी याद आती है
बदन में सिहरन सी दौड़ जाती है
एक नशा आँखों में तैर जाता है
तुझसे कभी मन नहीं भरता है
तुम एक हमसफ़र बन जाते हो
अकेले में मेरा मन बहलाते हो
पढ़के नींद भी अच्छी आ जाती है
फिर तुम्हारे सपने भी लाती है
@मीना गुलियानी 

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