यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

सोचकर तो देखिए

सोचकर तो देखिए जरूर एक बार
फिर करना इन्कार या इकरार
ऐसे कहाँ बार बार होता है प्यार
कब किसी पे आता है दिल बार बार
दिल पर भी क्या है इख़्तियार
कब किसी से हो पाता इज़हार
 न हो कभी हो जाओ बेकरार
और मिलना हो जाए दुश्वार
फिर मिन्नतें करनी पड़ें बेशुमार
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें