यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 29 सितंबर 2020

तर्ज --यहाँ कोई नहीँ है

मेरा कोई नहीं है तेरे सिवा मेरी बारी मत देर लगा 
तुम सुनके सदा मेरी आ जाओ आ जाओ आ जाओ 

मेरी दिल की धड़कनें तेरा नाम ले रही हैं 
ये सारी कायनात तुझे याद कर रही  है 
कबसे गुरूजी तुमको आवाज़ मैंने दी है 

जिसका न कोई जग में तू उसका हो गया है 
यही जानती हूँ मैं भी सबसे यही सुना है 
हमपे तरस खाओ सुनो दिल की ये सदा है 

जीवन की बागडोर तेरे हाथ सौंप दी है 
मेरी  सांसों की डोरी तेरा नाम ले रही है 
सुनलो सदायें सबकी यही तुझसे इल्तज़ा है 
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें