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सोमवार, 14 सितंबर 2020

कटे यम फांसी रे (तर्ज --दर्शन दो घनश्याम )

 रे मन जपले नाम गुरूजी का

कटे यम फांसी रे 


मुक्ति का पथ बतलाएँ तुमको 

सीधी राह पे लाएँ वो तुमको 

सारी  विपदा टल जाती 

मृत्यु टल जाती रे -----------


द्वार तेरे पे जो भी आते 

मांगी मुरादें तुझसे हैं पाते 

अंतर्मन में तुम्ही विराजे 

घट घट वासी रे -----------------------


नैनन में कोई बसे न दूजा 

करूँ मैं निशदिन तेरी ही पूजा 

दिल की खिड़की खोलके पाया 

प्रभु अविनाशी रे -------------------

@मीना गुलियानी 

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