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बुधवार, 23 सितंबर 2020

तर्ज --तुम बिन जीवन कैसे बीता

 मैंने हर पल तुमको पुकारा 

शरण तेरी आया गुरूजी ----

तेरा ही बस लिया सहारा 

शरण तेरी आया गुरूजी -------


मोहमाया के बंधन कैसे कोई काटे 

जितने दूर भी जाएँ उतने बढ़ते जाते 

सर पे गुरूजी हाथ तुम्हारा ---शरण ----


माया की आंधी ने हर पल हमें नचाया 

जितना दूर भी भागें सर पर गहरा साया 

भवसागर से पार उतारा -----शरण ------


 तृष्णा ने जी भर लूटा काम ,क्रोध बढ़ाया 

तेरे नाम को जपते तेरे द्वारे आया 

लिया है हमने तेरा सहारा -----शरण -----

@मीना गुलियानी

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