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बुधवार, 6 मई 2015

गुरुदेव के भजन-207 (Gurudev Ke Bhajan207)




ओ मुसाफिर इक दिन तुझको चलना 

चुन चुन जो तूने महल बनाया 
कितने दिन सोये रहना
 मात -पिता और भ्राता -भगिनी  
कोई नही तेरा अपना 

दुनिया है दो दिन का मेला 
जीवन है दो दिन का खेला 
दुनिया में जो देख रहा तू 
सब  रंग रंगीला सपना 

कब तक पगले भटका रहा तू 
घोर नीँद से जाग ज़रा तू 
 बाब  नाम मत भूल रे बन्दे 
अपने पथ पर चलना 


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