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गुरुवार, 7 मई 2015

गुरुदेव के भजन-216 (Gurudev Ke Bhajan216)



ओ बन्दे बाबा मिलेंगे तुझे  सत्संग में 
काहे तू खोजे वन वन में 
वो तो बसे तेरे मन में  काहे खोजे वन में 

सूरज और चन्द्रमा भी द्वारे तेरे आते है 
 तारे भी द्वार पे तेरे वीणा बजाते है
 तारे भी द्वार पे तेरे वीणा बजाते है 
काहे बैठा तू उलझन में  काहे खोजे वन में 

जिसने खोजा है पाया प्रीत की जीत है 
दुनिया की प्रीत झूठी झूठी जग रीत है 
दुनिया की प्रीत झूठी झूठी जग रीत है
  काहे पड़ा भव बंधन में  काहे खोजे वन में 

बाबा को मीत बनाले जीवन संवार ले 
तन मन अपना प्राणी अब तू निखार ले 
तन मन अपना प्राणी अब तू निखार ले 
काहे न सूझे मन में  काहे खोजे वन में


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