खुशियाँ मनाओ गुरू पूर्णिमा की रात है
बाबा जी के दर्शन पाओ खुशियों की रात है
आज की रात तुम मुँहमाँगा पाओगे
खाली झोली बाबा जी से भरके ले जाओगे
मांगी जो मुरादे पाओ बाबा जी का द्वार है
आज के दिन को तुम कभी भी न भूलना
बाबा की असीस पाना कभी नही डोलना
मेहर की वर्षा हुई बाबा का प्रसाद है
बाबा जी की शान देखो कितनी निराली
आये जो सवाली कभी जाए न खाली
भर भर के झोली भेजे देखने की बात है
हर दींन दुखी को ठिकाना यहाँ मिलता
सोया जो नसीब यहाँ जाता है जगता
जागेगा मुक़ददर तू बाबा का ले साथ है
___________________________****__________________________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें