रे मन भज ले नाम हरि का कटे जम फांसी रे
@मीना गुलियानी
माया में तूने मन उलझाया
मनमन्दिर में न दीप जलाया
विषयों में तेरी बीती उमरिया आवे सुन हांसी रे
दुःख में तूने उसे अपनाया
सुख आया तो उसको भुलाया
कैसे कटे दुःख की घड़ी जो न भजे अविनाशी रे
कर में मनका तूने फिराया
कपट का तूने भेस बनाया
उसकी कृपा जो होवे तो किस्मत बदल जाती रे
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