सिर को हमने आके झुकाया शरण तेरी पाने को
@मीना गुलियानी
छोड़ तेरा दर न जाएंगे ठोकरें खाने को
याद में तेरी आंसू आये
गीत विरह के हमने गाये
अश्कों की माला है पिरोई
तुमको पहनाने को
दुनिया ने मुँह मोड़ा हमसे
सबने नाता तोडा हमसे
मायाजाल को तोड़के आये
दर पे मिट जाने को
भूलें हुई नादाँ हैं हम तो
बच्चे तेरे अन्जान है हम तो
भूलों को बिसरा के आओ
हमको अपनाने को
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें