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रविवार, 7 अगस्त 2016

भजनमाला -------123

मंझधार में है मेरी ये नैया पार करो ओ मेरे खिवैया

तुमने ही सबकी बिगड़ी सँवारी
डूबती नैया पार उतारी
डोले भँवर में मेरी नैया

छोड़ तुझे मै किस दर जाऊं
किसको अपनी विपदा सुनाऊँ
पत राखो मोरी धीर के बंधैया

विपदाओं का जाल है गहरा
उबरूं कैसे माया का पहरा
भव से उबारो जीवन की नैया

मोहमाया ने मुझको हे घेरा
चक्र चौरासी का ये फेरा
काटो ये बन्धन जग के रचैया
@मीना गुलियानी

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