कर सेवा गुरु चरणन की युक्ति यही भव तरणन की
@मीना गुलियानी
गुरु की महिमा है भारी बेग करे भव जल पारी
विपदा हरे ये तन मन की
मन की दुविधा दूर करे ज्ञान भक्ति भरपूर करे
भेद कहे शुभ करमन की
गुरु दयालु होते है मन की मैल को धोते है
मोह हटावें विषयन की
भेद भरम सब मिटा दिया घट में दर्शन करा दिया
कैसी लीला दर्शन की
गुरु चरणों में झुक जाओ दास कहे नित गुण गाओ
करूँ वन्दना चरणन की
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