यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

भजनमाला -------120

कर सेवा गुरु चरणन की युक्ति यही भव तरणन की 

गुरु की महिमा है भारी बेग करे भव जल पारी 
विपदा हरे ये तन मन की 

मन की दुविधा दूर करे ज्ञान भक्ति भरपूर करे 
भेद कहे शुभ करमन की 

गुरु दयालु होते है मन की मैल को धोते है 
मोह हटावें विषयन की 

भेद भरम सब मिटा दिया घट में दर्शन करा दिया 
कैसी लीला दर्शन की 

गुरु चरणों में झुक जाओ दास कहे नित गुण गाओ 
करूँ वन्दना चरणन की 
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें