खुद में डूबकर वक्त गुज़ारो गुज़र जाएगा
इसी बहाने खुद से परिचय भी हो जाएगा
बाहर के दीपक तो बहुत तुमने जलाए
भीतर जलाओ तो उजियारा हो जाएगा
सबके गुण अवगुण को खूब परखा तुमने
झाँको भीतर खुद का अक्स नज़र आयेगा
तन को तो खूब महकाया उम्र भर तुमने
रूह को भी महकाओ सुकूँ मिल जाएगा
कभी वक्त मिले तो तन्हाई की सरगोशी में
धीरे से गुनगुनाओगे तो वक्त थम जाएगा
@मीना गुलियानी
इसी बहाने खुद से परिचय भी हो जाएगा
बाहर के दीपक तो बहुत तुमने जलाए
भीतर जलाओ तो उजियारा हो जाएगा
सबके गुण अवगुण को खूब परखा तुमने
झाँको भीतर खुद का अक्स नज़र आयेगा
तन को तो खूब महकाया उम्र भर तुमने
रूह को भी महकाओ सुकूँ मिल जाएगा
कभी वक्त मिले तो तन्हाई की सरगोशी में
धीरे से गुनगुनाओगे तो वक्त थम जाएगा
@मीना गुलियानी
रचना अच्छी है
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