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मंगलवार, 3 अक्टूबर 2017

वक्त थम जायेगा

खुद में डूबकर वक्त गुज़ारो गुज़र जाएगा
इसी बहाने खुद से परिचय भी हो जाएगा

बाहर के दीपक तो बहुत तुमने जलाए
 भीतर जलाओ तो उजियारा हो जाएगा

सबके गुण अवगुण को खूब परखा तुमने
झाँको भीतर खुद का अक्स नज़र आयेगा

तन को तो खूब महकाया उम्र भर तुमने
रूह को भी महकाओ सुकूँ मिल जाएगा

कभी वक्त मिले तो तन्हाई की सरगोशी में
धीरे से गुनगुनाओगे तो वक्त थम जाएगा
@मीना गुलियानी 

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