यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017

न यूँ तुम गँवाया करो

दर्द अपना सभी से छुपाया करो
आँसुओं को न यूँ ही बहाया करो

होंठों पे हँसी यूँ ही छलकती रहे
ऐसा चेहरा सबको दिखाया करो

कौन सुने फरियाद दर्दे दिल की
बेरहम जहाँ को न बताया करो

हर तरफ जिंदगी में बिखेरो ख़ुशी
मिलें ग़म भी गर मुस्कुराया करो

शिकवे शिकायतें बड़ी बेमुरव्वत हैं
न इन पर अपना वक्त ज़ाया करो

हमेशा करो यकीं उसकी इमदाद पर
सब्र अपना न यूँ तुम  गँवाया करो
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें