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गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

तेरी आँखों से छलक जाए

रोज़ सूरज यूँ ही निकलता है
शाम होने पर वो ढलता है
 धूप होती है साँझ होती है
जिंदगी यूँ ही  तमाम होती है

रात दिन जिंदगी के दो पहलू हैं
हर दिन रंग नए बदलते हैं
रात आनी है चाहे आ जाए
दिलों की कालिमा छंट जाए

गम की बदली सुबह में ढल जाए
तेरी खुशियों में चाँद लग जाए
जिंदगी तेरी फूलों सी महक जाए
ख़ुशी तेरी आँखों से छलक जाए
@मीना गुलियानी 

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