हर एक आदमी खुद ही मरता है
वक्त और हालात कुछ नहीं करते
हमला और बचाव खुद ही करता है
प्यार आदमी को दुनिया में
रहने लायक बनाता है
इसके सहारे दुनिया विचरता है
मेरे भीतर घने बादल गरजते हैं
त्योहारों का चाव महकता है
अंग अंग नाच उठता है
कभी गिरो तो घबराना नहीं
औकात का पता चलता है
उठायें हाथ तो अपनों का पता चलता है
@मीना गुलियानी
वक्त और हालात कुछ नहीं करते
हमला और बचाव खुद ही करता है
प्यार आदमी को दुनिया में
रहने लायक बनाता है
इसके सहारे दुनिया विचरता है
मेरे भीतर घने बादल गरजते हैं
त्योहारों का चाव महकता है
अंग अंग नाच उठता है
कभी गिरो तो घबराना नहीं
औकात का पता चलता है
उठायें हाथ तो अपनों का पता चलता है
@मीना गुलियानी
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