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गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017

अपनों का पता चलता है

हर एक आदमी खुद ही मरता है
वक्त और हालात कुछ नहीं करते
हमला और बचाव खुद ही करता है

प्यार आदमी को दुनिया में
रहने लायक बनाता है
इसके सहारे दुनिया विचरता है

मेरे भीतर घने बादल गरजते हैं
त्योहारों का चाव महकता है
अंग अंग नाच उठता है

कभी गिरो तो घबराना नहीं
औकात का पता चलता है
उठायें हाथ तो अपनों का पता चलता है
@मीना गुलियानी 

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