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मंगलवार, 10 अक्तूबर 2017

याद आती है

कुछ ऐसे आती है तुम्हारी याद
जैसे झील के उस पार नाव
बारिश की बूंदों में भीग जाती है
दिखती, सहमती ,ठहर जाती है

मुझे रहता है हर पल इंतज़ार
छूकर परछाई  चली जाती है
लगता है डरके सूरज से वो
यहीं कहीं पर छिप जाती है

 तुम्हारी आवाज़ को तरसता हूँ
तुम सपनों मेँ आती हो गाती हो
आँखों से छलके प्याले रीत गए
सुहाने पल बीत गए याद आती है 
@मीना गुलियानी



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