कुछ ऐसे आती है तुम्हारी याद
जैसे झील के उस पार नाव
बारिश की बूंदों में भीग जाती है
दिखती, सहमती ,ठहर जाती है
मुझे रहता है हर पल इंतज़ार
छूकर परछाई चली जाती है
लगता है डरके सूरज से वो
यहीं कहीं पर छिप जाती है
तुम्हारी आवाज़ को तरसता हूँ
तुम सपनों मेँ आती हो गाती हो
आँखों से छलके प्याले रीत गए
सुहाने पल बीत गए याद आती है
@मीना गुलियानी
जैसे झील के उस पार नाव
बारिश की बूंदों में भीग जाती है
दिखती, सहमती ,ठहर जाती है
मुझे रहता है हर पल इंतज़ार
छूकर परछाई चली जाती है
लगता है डरके सूरज से वो
यहीं कहीं पर छिप जाती है
तुम्हारी आवाज़ को तरसता हूँ
तुम सपनों मेँ आती हो गाती हो
आँखों से छलके प्याले रीत गए
सुहाने पल बीत गए याद आती है
@मीना गुलियानी
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