आज फिर चिड़िया एक डाल पर फुदक रही है
वह यूँ फुदकती चहकती अच्छी लग रही है
कभी आम की डाली कभी अमरुद की डाली पर
कभी नीम की तो कभी जामुन की उस डाली पर
हवा की ताज़ी सौंधी सी खुशबु मन में भर रही है
प्रकृति की सुरम्य छटा बसंत में निखर रही है
सरसों के पीले फूल इस बगिया में खिलने लगे हैं
देखो बगिया संवर रही है ख़ुशी दिल में भर रही है
भँवरे मंडराने लगे हैं मधुपान कर इतराने लगे हैं
लता पेड़ों का लेके सहारा देखो ज़रा तन के खड़ी है
नई भोर आई लाली है छाई उषा ने भी ली अंगड़ाई
सूरजमुखी ने आँखे खोली कुमुदिनी सुस्ताने लगी है
सितारे शर्माने लगे हैं घूँघट में मुखड़ा छिपाने लगे हैं
चंदा ओझल हुआ सूरज की किरणें जमी पे पड़ रही हैं
प्रकृति संवरने लगी कुमकुम फूलों से झरने लगी है
संध्या रानी आई उसकी पायलिया छनकने लगी है
कैसे न मोहित हों छटा पर आँखे ख़ुशी से झरने लगी हैं
घटा छाई लेके बिजुरिया रिमझिम बूँदें बरसने लगी है
@मीना गुलियानी
वह यूँ फुदकती चहकती अच्छी लग रही है
कभी आम की डाली कभी अमरुद की डाली पर
कभी नीम की तो कभी जामुन की उस डाली पर
हवा की ताज़ी सौंधी सी खुशबु मन में भर रही है
प्रकृति की सुरम्य छटा बसंत में निखर रही है
सरसों के पीले फूल इस बगिया में खिलने लगे हैं
देखो बगिया संवर रही है ख़ुशी दिल में भर रही है
भँवरे मंडराने लगे हैं मधुपान कर इतराने लगे हैं
लता पेड़ों का लेके सहारा देखो ज़रा तन के खड़ी है
नई भोर आई लाली है छाई उषा ने भी ली अंगड़ाई
सूरजमुखी ने आँखे खोली कुमुदिनी सुस्ताने लगी है
सितारे शर्माने लगे हैं घूँघट में मुखड़ा छिपाने लगे हैं
चंदा ओझल हुआ सूरज की किरणें जमी पे पड़ रही हैं
प्रकृति संवरने लगी कुमकुम फूलों से झरने लगी है
संध्या रानी आई उसकी पायलिया छनकने लगी है
कैसे न मोहित हों छटा पर आँखे ख़ुशी से झरने लगी हैं
घटा छाई लेके बिजुरिया रिमझिम बूँदें बरसने लगी है
@मीना गुलियानी
वाह!!
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